Shodashi - An Overview
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
कामेश्यादिभिरावृतं शुभ~ण्करं श्री-सर्व-सिद्धि-प्रदम् ।
यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।
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यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।
हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् read more ।
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
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कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
Shodashi also implies sixteen plus the belief is the fact that in the age of sixteen the Actual physical human body of a individual attains perfection. Deterioration sets in following sixteen decades.